Government of India act, 1858 (भारत सरकार अधिनियम, 1858)
1. भारत के शासन की बागडोर ब्रिटिश संसद( महारानी विक्टोरिया) के पास चली गई थी।
2.भारत सचिव(Secretary of State) का पद स्थापित किया गया जो ब्रिटेन की महारानी के प्रति उत्तरदाई थे और भारत के गवर्नर जनरल या वायसराय भारत सचिव के प्रति उत्तरदाई थे।
3.Board of Control( नियंत्रण बोर्ड) तथा Court of Directors (डायरेक्टरों की सभा) को भंग कर उसकी जगह 15 सदस्य भारत परिषद (India Council) का गठन किया गया।
नोट: इस काउंसिल की प्रकृति सलाहकारी थी व कोई भारतीय सदस्य नहीं था।
4. गवर्नर जनरल को वायसराय कहा जाने लगा। और भारत के प्रथम वायसराय – लॉर्ड कैनिंग।
5. इस अधिनियम द्वैध शासन प्रणाली का अंत हुआ।
6. इस अधिनियम संबंधित योजनाओं को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कैनिंग ने इलाहाबाद के दरबार में 1 नवंबर 1858 पड़ा ।
Indian Council Act, 1861 (भारतीय परिषद अधिनियम, 1861)
1. भारतीय प्रतिनिधियों को कानून निर्माण की प्रक्रिया में शामिल किया जाने लगा।
2. वायसराय की परिषद में 5वां सदस्य जोड़ा गया जो कानूनी पृष्ठभूमि से संबंधित था।
3. वायसराय कुछ भारतीयों को परिषद का अस्थाई सदस्य मनोनीत कर सकते थे।
पहले 3 अस्थाई सदस्य का निर्धारण किया गया था इसमें :-
(i) बनारस के राजा
(ii) पटियाला के महाराजा
(iii) सर दिनकर राव
4. वायसराय को अध्यादेश जारी करने की शक्ति दी गई।
5. तीन तरह की कानूनी प्रक्रिया संहिता अस्तित्व में आई
(i) IPC-Indian Panel Code
(ii) CRPC- Criminal Procedure Code
(iii) Civil Procedure Code
6. Portfolio System (पोर्टफोलियो प्रणाली) – 1859 by Lord Canning (लॉर्ड कैनिंग)
7. यह अधिनियम बजट से भी संबंधित था।
नोट:- ब्रिटिश भारत में बजट सर्वप्रथम 7 अप्रैल 1860 को जेम्स विल्सन के द्वारा प्रस्तुत किया गया।
Indian Council Act, 1892 (भारत परिषद अधिनियम, 1892)
1. पहली बार बजट पर चर्चा करने व प्रश्न पूछने की अनुमति दी गई।
2. केंद्रीय व प्रांतीय विधान परिषदों में गैर सरकारी सदस्यों की संख्या बढ़ाई गयी।
3. विधान परिषदों में ⅖ गैर सरकारी सदस्य होने अनिवार्य थी हालांकि बहुमत केवल सरकारी सदस्यों का ही होता था।