The Company’s Rules (1773-1857 ई.)

Charter act of 1793

1. कंपनी के व्यापारिक व राजनीतिक एक अधिकारों को 20 सालों के लिए बढ़ा दिया गया
2. अन्य नाम ईस्ट इंडिया कंपनी एक्ट 1793
3. कंपनी के डायरेक्टरों के वेतन में 10% वृद्धि
4. गवर्नर जनरल में कार्यकारी परिषद का सदस्य बनने के लिए 12 साल तक भारत में रहने का अनुभव अनिवार्य
5. नियंत्रण बोर्ड में कंपनी के कर्मचारियों का वेतन का भुगतान भारतीय राजस्व कोष से आरंभ ।

Charter Act 1813

1. कंपनी के व्यापारी के का अधिकारों को समाप्त कर दिया पर राजनीति के अधिकारों को 20 साल के लिए बढ़ा दिया गया(20 सालों के लिए केवल चीन के साथ चाय का व्यापार करने में एकाधिकार)
2. अन्य ब्रिटिश व्यापारियों को भारत में व्यापार करने की छूट
3. ईसाई मिशनरियों को भारत में धर्म प्रचार की अनुमति
4. कंपनी को भारत का प्रशासक घोषित कर दिया गया
5. भारतीय शिक्षा पर सालाना 1 लाख प्रतिवर्ष रुपए व्याय करने की व्यवस्था। भारत में साहित्य विज्ञान आधारित शिक्षा को बढ़ावा।

Charter Act 1833

1. अन्य नाम सेंट हेलेना एक्ट 1833 (Saint Helena Act 1833).
2. कंपनी का एकाधिकार पूर्णतः समाप्त, कंपनी केवल प्रशासनिक निकाय बन गयी
3. बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत के गवर्नर जनरल बना दिया गया
भारत के प्रथम गवर्नर जनरल -> लॉर्ड विलियम बैंटिक।
गवर्नर जनरल को संपूर्ण ब्रिटिश भारत के लिए बजट बनाने का अधिकार।
गवर्नर जनरल की परिषद के सदस्यों की संख्या 3 से 4 कर दी गई (4th सदस्य- कानून विशेषज्ञ।)
4. भारत में कानून का केंद्रीकरण करने के लिए एक विधि आयोग का गठन। प्रथम विधि आयोग के अध्यक्ष – लॉर्ड मैकाले। (4th member)
5. दास प्रथा उन्मूलन अधिनियम, 1843 (Indian Slavery Act, 1843) के तहत 1843 में दास प्रथा का अंत।
दास प्रथा का अंत करने वाले गवर्नर जनरल लॉर्ड एलनबरो।
अधिनियम की धारा 87 के तहत कंपनी में काम करने वाले सभी कर्मचारी समान।
6. ब्रिटिश नागरिकों को बिना अनुमति पत्र के भारत में आने, रहने व जमीन खरीदने की इजाजत मिली।
7. गवर्नर जनरल की शक्तियों में विस्तार किया गया। सभी तरह की कानूनी, प्रशासनिक व वित्तीय शक्तियां गवर्नर जरनल को सौंप दी।

Charter act 1853

1. इस एक्ट ने संविधान निर्माण की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस एक्ट ने भारत में केंद्रीय प्रशासन की नींव रखी।

2. गवर्नर जनरल की विधायी तथा प्रशासनिक शक्तियों का अलग-अलग उल्लेख किया गया।
3. अलग से बंगाल के लिए गवर्नर नियुक्त किया गया।
4. गवर्नर जनरल की परिषद के चौथे सदस्य (विधि सदस्य ) को वोट देने का अधिकार प्रदान किया गया।
5. कोर्ट ऑफ डायरेक्टर के सदस्यों की संख्या 24 से घटाकर 18 (12+6) कर दी गई जिनमें से 6 राजा द्वारा मनोनीत किए जा सकते थे।
6. कंपनी में कर्मचारियों की भर्ती के लिए खुली सिविल सेवा भर्ती प्रतियोगिता का प्रावधान (परंतु इसमें भारतीयों के लिए जगह नहीं दी)
7.1854- मैकाले समिति के गठन के बाद भारतीयों को भी सिविल सेवा भर्ती प्रतियोगिता में बैठने की इजाजत मिली।
8. कंपनी अब “जब तक संसद चाहे तब तक” भारतीय क्षेत्रों को अपने अधीन रख सकती थी।
9. इसके बाद दो नए प्रांतों “सिंध” और “पंजाब” का गठन हुआ।

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